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शरीर में जल का महत्व-Importance of Water in Body in Hindi


 दोस्तों!
    इस पोस्ट में जीवन के लिए आवश्यक पदार्थ जल  की जानकारी दी गई है। इसमें जल का परिचय, जल क्या है ?, जल का महत्व, शरीर में जल के कार्य, जल का उपयोग तथा शरीर में पानी की मात्रा के बारे में बहुत अच्छे ढंग से बताई गई है।  यह पोस्ट जन हित में समस्त जन को समर्पित है...

जल का परिचय:







जल या पानी (Water) सभी जीवों के जीवन के लिए  हवा के बाद  दूसरा अतिआवश्यक  पदार्थ  है। हम भोजन के बिना 3- 4 सप्ताहों तक  जिंदा रह सकते हैं, परंतु  जल के बिना  3-4 दिनों से ज्यादा जिंदा नहीं रह सकते हैं।

■वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी तथा मानव शरीर का तीन चौथाई भाग जल ही है, जिसका मानव जीवन में तथा शरीर के अंदर कई महत्वपूर्ण कार्य एवं उपयोग हैं।

■अध्ययन से पता चलता है कि प्राचीन समय से ही मानव जीवन में जल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विश्व की सभी सभ्यताओं एवं संस्कृतियों का जल से गहरा संबंध रहा है।

■विश्व की सभी सभ्यताएं जैसे- सिंधु घाटी की सभ्यता, मिस्र की सभ्यता, मेसोपोटामिया की सभ्यता तथा चीन की सभ्यता जल स्रोतों के किनारे ही विकसित हुई थी।

■यूनानी  दार्शनिकों अरस्तु, प्लेटो और एमपेडोकल्स की अवधारणा थी कि सभी पदार्थों तथा मानव शरीर का निर्माण चार तत्व वायु, जल, अग्नि और पृथ्वी से मिलकर बना है।

■प्राचीन युग की कीमियागर (Alchemist) जो रसायनज्ञ होते थे, वे जल को एक तत्व मानते थे। यह तात्विक अवधारणा सदियों बनी रही।

■1781 में सर्वप्रथम हेनरी कैवेंडिश ने सिद्ध किया कि जल  तत्व नहीं, एक यौगिक है।

■1783 में आधुनिक रसायन विज्ञान के जनक फ्रांस के महान रसायनविज्ञानी अंत्वा लौरां लेवाइजे ने प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध किया कि  जल या पानी हाइड्रोजन (H) तथा ऑक्सीजन (O) से बना एक रासायनिक यौगिक है।

■ जल पोषक तत्व (Nutrients) न होते हुए भी यह भोजन का अनिवार्य अवयय (Essential Component of Diet) है, जो मानव शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है

■हमारे द्वारा पिये गए या भोजन के साथ लिए गए जल को शरीर बिना पाचन किये  उसका सीधा अवशोषण करता है।

■इसका शरीर में होने वाले लगभग सभी  उपापचयी क्रियाओं में महत्वपूर्ण  भूमिका है। यह शरीर में इलैक्ट्रोलाइट्स के संतुलन को बनाए रखता है तथा शरीर में उत्पन्न व्यर्थ पदार्थों को शरीर से बाहर उत्सर्जित कर देता है।



What is water? ||  जल क्या है?



जल

■जल जीवन का आधार है। यह एक प्राकृतिक संसाधन तथा जीवन के लिए अनिवार्य रासायनिक पदार्थ है,जिसका अणु सूत्र H2O है।

■रासायनिक रूप से  जल के एक अणु में   ऑक्सीजन (O) के एक परमाणु तथा हाइड्रोजन (H) के दो परमाणु 1:2 केअनुपात में सह संयोजी बंध (Covalent bond) द्वारा जुड़े होते हैं। इसका अणुभार 18 होता है।

■शुद्ध जल एक रंगहीन, गन्धहीन,स्वादहीन तथा पारदर्शी  एक तरल पदार्थ है। यह एक ऐसा पदार्थ है जो पदार्थ के तीनों भौतिक अवस्था- ठोस, द्रव तथा गैस के रूप में पाया जाता है।

■ ठोस रुप में इसे बर्फ, द्रव रुप में जल यानी पानी तथा गैसीय अवस्था वाष्प या जलवाष्प या भाप कहते हैं।

■जल  एक प्रबल विलायक (Strong Solvent) है तथा इसमें अधिकतर पदार्थ  घुलनशील होते हैं। इसलिए जल को सार्वभौमिक विलायक (Universal Solvent) कहा जाता है।

■जल में लवण, शर्करा, अम्ल, क्षार और कुछ गैसें जैसे-ऑक्सीजन गैस(O2), कार्बन डाइऑक्साइड गैस (CO2)अच्छी तरह से घुलनशील होते हैं। परंतु वसा और तेल जल में  अघुलनशील होते हैं।

■पृथ्वी का 71% भाग जल है परंतु 3% भाग ही पीने योग्य है।जल दो प्रकार का होते हैं- मीठा जल तथा खारा जल। मीठा पानी पीने तथा खाना बनाने के योग्य होता है। समुद्री पानी खारा तथा लवणयुक्त होता है, जो पीने योग्य नहीं होता।

■शुद्ध जल औषधि का काम करता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर के हर अंग की स्वास्थ्य बनी रहती है।

■पर्याप्त मात्रा में शुद्ध एवं स्वच्छ पानी शरीर की त्वचा, हृदय, गुर्दे, रक्त और आंतों की मजबूती और तंदुरुस्ती को बनाएं रखता है।

मानव शरीर के 70% भाग में जल होता है।  रोजाना 2 से 3 लीटर पानी मल, मूत्र,पसीना,श्वास आदि के रूप में शरीर से बाहर निकल जाता,श्वास है। इसलिए प्रतिदिन कम से कम 2 से 3 लीटर पानी पीना जरूरी होता है।

■मनुष्य को प्रतिदिन कितना पानी पीना चाहिए यह निश्चित नहीं कहा जा सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार कम से कम 2.5 लीटर पानी पीना ही चाहिए।

■मौसम, शरीर की स्तिथि, शारीरिक कार्य, कम बोलना या अधिक बोलना, शरीर से पसीना कितना निकला इस पर पानी पीने की मात्रा निर्भर करती है।

■गर्मी के दिनों में वातावरण की ताप और प्यास के अनुसार पानी पीना चाहिए। डॉक्टर रोजाना 7-8 गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं।

■एक अध्ययन से पता चलता है कि प्रतिदिन मूत्र के रूप में जल 1500 मिली लीटर बाहर निकालना जरूरी होता है। इसलिए कम से कम इतना पानी पीना चाहिए की 24 घंटे में 1500 मिली लीटर पानी शरीर से बाहर मूत्र के रूप में निकले।

■इंसान को अपनी सेहत व तंदुरुस्ती को बनाए रखने के लिए साफ एवं शुद्ध पानी ही पीने तथा खाना बनाने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।

■दूषित या गंदा या अशुद्ध पानी को पीने या  इस्तेमाल करने से कई तरह  की बीमारियां  जैसे-

  पीलिया

  गैस

  संक्रामक रोग

  अतिसार

  पेचिश

  वमन

  चेचक

  रक्ताल्पता

  इत्यादि   होती   हैं।


Importance of Water | जल का महत्व  :-



  जल का हमारे जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य एवं उपयोग है:-

●यह हमारे भोजन का मुख्य अवयव है, जिसका शरीर के अंदर सभी जैविक क्रियाओं के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका है।

●सभी जीवों की तरह मानव शरीर की भी क्रियात्मक एवं रचनात्मक इकाई(Unit) कोशिका (Cell) है। हमारा शरीर अरबों-खरबों कोशिकाओं  से मिलकर बना है  तथा कोशिकाएं निर्जीव परमाणुओं और अणुओं के संयोजन से बनता है।

●जल का भी प्रत्येक अणु ऑक्सीजन के एक परमाणु तथा हाइड्रोजन के दो परमाणुओं के संयोजी बंध के संयोजन से हुआ है।

●ऐसी कोशिकाओं का समूह जिसकी रचना एवं कार्य एक समान हो उसे "ऊत्तक" या "Tissue" कहते हैं। उत्तकों से अंगों (Organs) का, अंगों से अंग-तंत्रों (OrganSystem) का  और अंग तंत्रों से एक  शरीर (Body) या जीव (Organism) का निर्माण होता है। 

●जल  मानव शरीर की सभी कोशिकाओं, ऊतकों तथा अंगों की जैविक क्रियाओं  एवं उसमें नमी बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी होता है।

●रासायनिक रूप से जल एक कार्बनिक यौगिक है तथा हमारे भोजन एवं शरीर का मुख्य घटक है।

●जल एक प्रबल विलायक हैं, जिसमें शरीर में उपस्थित कई प्रकार की कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ तथा तत्व आसानी से विलय होकर रक्त के द्वारा  शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुंचाया जाता है।

●जल के अभाव में किसी भी जीव का कोई भी कोशिका, उत्तक या अंग जीवित नहीं रह सकता है। जल है तो जीवन है,इसके अभाव में हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

● इस प्रकार हम कह सकते हैं कि "जल ही जीवन है"। जल नहीं तो जीवन नहीं।


Funtion of Water in body | शरीर में जल का कार्य:


शरीर में जल का कार्य


शरीर में  जल का मुख्य कार्य हैं-

● सभी जीवों को जीवित रहने के लिए आवश्यक तरल पदार्थ

●शरीर की कोशिकाओं तथा ऊतकों की संरचना के लिए आवश्यक

● शरीर के द्रव्यों तथा पाचक रसों का निर्माण एवं अवशोषण के लिए आवश्यक

● शरीर की तापमान 98.4°F (37℃) को स्थिर बनाए रखना

●भोजन को पचाने में सहायता करना

●कई तरह के शरीर के अंदर पाए जाने वाले विलेयों के लिए एक विलायक के रूप में कार्य करना

● भोजन से प्राप्त पोषक तत्वों को शरीर की  कोशिकाओं तक पहुंचाना

●चयापचयी प्रक्रियाओं का एक महत्वपूर्ण घटक

●शरीर में जल के संतुलन को बनाए रखना।

●शरीर में पाए जाने वाले रक्त, पाचक रस, लार, पसीना, पैखाना एवं पेशाब तथा सभी अंगों को तरल बनाए रखना तथा नमी प्रदान करना।

●कार्बोहाइड्रेट, वसा तथा प्रोटीन से उत्पन्न ऊर्जा को पूरे शरीर में पहुंचाने में मदद करना।

●शरीर की जैविक व रासायनिक क्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका।

●उत्सर्जन क्रिया द्वारा शरीर में उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालने में सहायता करना।

●शरीर के अस्थि संधि में नमी बनाए रखना।

●मस्तिष्क और मेरुरज्जु (Brain and Spinal Cord) को झटकों से सुरक्षा करना।

●शरीर के अंदर ग्रहण किए गए जल और शरीर से बाहर निकाले गए जल में संतुलन बनाए रखना अर्थात शरीर में जल -संतुलन को बनाए रखना

●शरीर के पूरे हिस्से में ऑक्सीजन को पहुंचाना

●रक्त के pH स्तर 7.4 को बनाए रखना

 ●मुंह में दांतों से चबाये हुए भोजन को शरीर के अंदर  पहुंचाने में मदद करना

●पाचन क्रिया के लिए एक आवश्यक द्रव्य

●आंखों की नमी को बनाए रखना

●स्त्री के जननांगों में संक्रमण से बचाव के लिए नमी प्रदान करना।


  Uses of Water | जल का उपयोग:



   जल एक महत्वपूर्ण उपयोगी पदार्थ है। हमारे जीवन में इसके कई महत्वपूर्ण उपयोग हैं-

पानी को पी कर प्यास को बुझाना।
  • शरीर की सफाई करना। 
  • स्नान  करना। 
  • कपड़ा धोना। 
  • घर की सफाई। 
  • बर्तन एवं अन्य सामानों की सफाई। 
  • समुदाय की सफाई। 
  • खाना पकाना। 
  • अग्निशामक अर्थात् आग को बुझाने में। 
  • बिजली उत्पादन  करना । 
  • मत्स्य पालन में ।
  • रोगी के इलाज के  कार्यों में। 
  • औषधि अर्थात दावा निर्माण में। 
  • उद्योग-धंधा तथा कल कारखानों में। 
  • कई आवश्यक कार्यों में। 
  • जल - चिकित्सा द्वारा उपचार में। 
  • खेतों में सिंचाई करना। 
  • कृषि यानी खेती के कार्यों में।
  • वातावरण को शुद्ध बनाना । 
  • वतावरण के तापमान को सामान्य बनाए रखना। 
  • जलीय जीवों  के लिए महत्वपूर्ण एवं आवश्यक।
  • अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में।


Amount of Water in body | शरीर में पानी की मात्रा:


●मानव शरीर में पानी की मात्रा व्यक्ति की आयु, लिंग, वजन, उसकी  गठन तथा उसके शरीर के अंदर उपस्थित वसा की मात्रा पर निर्भर करती है ।

●औसतन एक व्यस्क पुरुष में 60% तथा व्यस्त महिला में 55% पानी शरीर भार का होता है। जन्म के समय नवजात शिशु में 93% पानी शरीर की वजन का होता है ।

●मोटे व्यक्ति तथा महिला के शरीर में वसा की मात्रा ज्यादा होती है तथा वसा में पानी की मात्रा कम होती है, जिसके कारण मोटे व्यक्ति तथा महिला के शरीर में पानी कम मात्रा में होती है।

Conclusion :


✍️निसंदेह जल जीवन का आधार है। जीवमंडल में पाए जाने वाले समस्त जीवों के लिए अति आवश्यक प्राकृतिक संसाधन है। इसके बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। 

✍️मानव के जीवन तथा शरीर में जल के अनेकों महत्वपूर्ण कार्य है। जल को संतुलित मात्रा में पीकर तथा इसका सही तरीके से उपयोग कर हम एक अच्छा स्वास्थ्य की प्राप्ति कर सकते हैं। हमें स्वच्छ एवं शुद्ध जल ही खाने-पीने तथा अन्य कार्यों में उपयोग करना चाहिए।

✍️अतः जल की महत्ता को देखते हुए हम सभी को अनावश्यक रूप से जल का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए । जल का संरक्षण तथा इसे शुद्ध एवं प्रदूषणमुक्त बनाए रखना  हम सभी मानव जाति का कर्तव्य है

✍️ 👉तो विश्व के समस्त बंधु एवं बंधवा आइए आज संकल्प लें कि हम सभी संतुलित मात्रा में पानी को पिएंगे तथा उपयोग करेंगे। साथ ही जल प्रदूषण को रोकने तथा जल संरक्षण में सदैव सकारात्मक रूप से निरंतर प्रयासरत रहेगें ताकि विश्व का कल्याण हो सके।
      सप्रेम धन्यवाद...
   





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